कुनकुरी में परिषद संचालन समिति से पार्षद रुखसाना बानो को हटाने पर विवाद गहराया...

 अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने दी स्पष्ट प्रतिक्रिया -“पत्र असली, समाज की महिला प्रतिनिधि के साथ हुआ अन्याय”...


कुनकुरी (जशपुर)। नगर पंचायत कुनकुरी की राजनीति इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। परिषद संचालन समिति (P.I.C.) से पार्षद श्रीमती रुखसाना बानो को हटाए जाने के निर्णय ने न केवल नगर पंचायत बल्कि पूरे क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी है।

इस प्रकरण को लेकर अंजुमन इस्लामिया कमेटी, कुनकुरी ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि इस मामले में समाज के पक्ष से जारी किया गया पत्र पूरी तरह से वैध और अधिकृत है।



अंजुमन का बयान - “हमारा पत्र वास्तविक, समाज की महिला प्रतिनिधि के साथ हुआ अन्याय” :* अंजुमन इस्लामिया कमेटी के सदर हाजी आशिक असदकी, सचिव सज्जाद खलीफा, खजांची रकीब खान, नायब सदर रशीद अंसारी और नायाब सेक्रेटरी अधिवक्ता इमरोज़ खान ने अपने संयुक्त बयान में कहा -


> “हाल के दिनों में हमारे द्वारा जारी एक पत्र को कुछ लोगों ने ‘फर्जी’ बताया है। यह पूरी तरह भ्रामक और तथ्यहीन दावा है। संबंधित पत्र अंजुमन इस्लामिया कमेटी द्वारा ही विधिवत जारी किया गया था। पत्र का उद्देश्य केवल समाज की महिला प्रतिनिधि श्रीमती रुखसाना बानो के साथ हुए अन्याय पर ध्यान आकर्षित करना था।”


कमेटी ने बताया कि पार्षद रुखसाना बानो, जो कि कांग्रेस पार्टी से निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें नगर पंचायत अध्यक्ष विनयशील गुप्ता द्वारा बिना पूर्व सूचना और बिना किसी ठोस कारण बताए परिषद संचालन समिति से हटा दिया गया।


> “यह निर्णय न केवल संगठनात्मक मर्यादा के विपरीत है बल्कि महिला जनप्रतिनिधि के सम्मान के भी खिलाफ है।” - हाजी आशिक असदकी, सदर, अंजुमन इस्लामिया कमेटी


*“पुराने लेटर पैड पर जारी हुआ पत्र, पर पूरी तरह वैध” :* अंजुमन ने स्पष्ट किया कि हाल ही में कमेटी का नया चुनाव संपन्न हुआ है और नई कार्यकारिणी का गठन किया गया है।


> “नया लेटर पैड अभी मुद्रित नहीं हो पाया था, इसलिए पत्र पुराने लेटर पैड पर जारी किया गया। पत्र पर कमेटी के निर्वाचित पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, जो इसे विधिसम्मत बनाते हैं। इसे फर्जी बताना समाज की सच्चाई को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास है।”


कमेटी ने बताया कि 31 अक्टूबर 2025 को हुई चुनाव समिति की बैठक में यह प्रावधान किया गया था कि सदर, सचिव और खजांची अपने विवेक से नायब सदर और नायाब सेक्रेटरी की नियुक्ति कर सकते हैं।

इसी अधिकार के तहत नई कार्यकारिणी ने अपने हस्ताक्षर से पत्र जारी किया था।


> “हम किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं हैं। हमारा उद्देश्य केवल अपनी समाज की महिला प्रतिनिधि को न्याय दिलाना है।”


*नगर पंचायत उपाध्यक्ष और पार्षदों ने भी जताई नाराज़गी :* नगर पंचायत कुनकुरी के उपाध्यक्ष दीपक केरकेट्टा और पार्षद इमरान खान (वार्ड 9) ने भी इस निर्णय पर आपत्ति जताई है।

दोनों जनप्रतिनिधियों ने कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए कहा कि रुखसाना बानो को P.I.C. से हटाया जाना “पक्षपातपूर्ण और अनुचित” है।


> “रुखसाना बानो हमेशा समाज और पार्टी दोनों के प्रति निष्ठावान रही हैं। बिना कारण बताए उन्हें समिति से हटाना महिला सम्मान के विपरीत है।” - दीपक केरकेट्टा, उपाध्यक्ष नगर पंचायत कुनकुरी


पार्षदों ने कहा कि वार्ड क्रमांक 9 और 10 मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं, जहां से कांग्रेस को निर्णायक समर्थन मिलता रहा है। ऐसे में उसी समाज की प्रतिनिधि को हटाना पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को कमजोर करने वाला कदम है।


*ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश नेतृत्व से की शिकायत :* ब्लॉक कांग्रेस कमेटी, कुनकुरी के अध्यक्ष एस. इलियास ने भी इस पूरे मामले की जानकारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज सागर यादव को भेजी है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा -


> “नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा रुखसाना बानो को परिषद संचालन समिति से हटाने का निर्णय एकतरफा और अनुचित प्रतीत होता है। न तो संगठन से परामर्श लिया गया और न ही पार्षद को कोई कारण बताया गया। यह कदम कांग्रेस की अनुशासनात्मक मर्यादा के विपरीत है।”


उन्होंने प्रदेश नेतृत्व से इस मामले में तथ्यात्मक जांच और आवश्यक कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।


*आदेश में कारण स्पष्ट नहीं, पारदर्शिता पर उठे सवाल :* नगर पंचायत कुनकुरी के मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO) द्वारा जारी आदेश दिनांक 30 अक्टूबर 2025 में उल्लेख किया गया है कि -


> “वार्ड क्रमांक 10 की पार्षद श्रीमती रुखसाना बानो को परिषद संचालन समिति से हटाकर वार्ड क्रमांक 6 के पार्षद श्री अजीत करकेट्टा को सदस्य नियुक्त किया जाता है।”


हालांकि आदेश में पार्षद को हटाए जाने का कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है, जिससे निर्णय की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्न उठे हैं।


*समाज में असंतोष और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हलचल :* अंजुमन इस्लामिया कमेटी के बयान और कांग्रेस पदाधिकारियों की चिट्ठियों के बाद नगर में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। मुस्लिम समाज के कई वरिष्ठ नागरिकों और स्थानीय संगठनों ने इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।


> “जो समाज वर्षों से कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ा रहा, उसी समाज की महिला पार्षद का अपमान कांग्रेस की साख को कमजोर करता है।” — अंजुमन इस्लामिया कमेटी का बयान


*अंजुमन की अपील - “न्याय और सम्मान की पुनर्स्थापना की जाए” कमेटी ने अपने बयान के अंत में कहा -*


> “हम राजनीति नहीं, न्याय की बात कर रहे हैं। समाज की महिला प्रतिनिधि के साथ जो अन्याय हुआ है, उसे सुधारा जाए। यदि निर्णय में कोई भूल हुई है, तो उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर न्यायोचित कदम उठाए जाएं। समाज और पार्टी, दोनों के सम्मान की रक्षा करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।”


कुनकुरी नगर पंचायत का यह विवाद अब केवल एक प्रशासनिक आदेश का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह जनप्रतिनिधित्व, महिला सम्मान और संगठनात्मक जवाबदेही का प्रश्न बन गया है।


अंजुमन इस्लामिया कमेटी के तथ्यात्मक और संयमित बयान के बाद अब गेंद कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के पाले में है। प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में होने वाली जांच ही यह तय करेगी कि रुखसाना बानो को न्याय मिलेगा या यह विवाद राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।

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